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दिवाली पर पटाखा जलाने की परम्परा बाजार की देन है |

इतिहास के पन्नों को खंगालने पर जवाब मिलता है कि दिवाली पर पटाखा जलाने का चलन बाजार की देन है। इसका भारतीय संस्कृति से कोई संबंध नहीं है। रामायण काल में भी राम के लौटने पर दीये जलाने का जिक्र तो होता है, लेकिन आतिशबाजी का कहीं कोई वर्णन नहीं मिलता है। इतिहास में पटाखे…