
लॉकडाउन राजनीति कर रहीं हैं ममता बनर्जी
पश्चिम बंगाल में कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे के बीच सियासत तेज हो गई है। पहले ममता बनर्जी सरकार पर कोरोना वायरस से मरने वालों का आंकड़ा छिपाने का आरोप लगा। अब लॉकडाउन का सख्ती से पालन नहीं होने का मामला गरमाया हुआ है। केंद्र ने जहां आईएमसीटी (इंटर मिनिस्ट्रीयल सेंट्रल टीम) भेजने का फैसला किया है, वहीं ममता बनर्जी इसको हरी झंडी देने के लिए राजी नहीं हैं।

कोरोना से नई लड़ाई, ममता का पुराना राग
यह सवाल इसलिए क्योंकि कोरोना वायरस से जंग में पूरा देश एकजुट दिख रहा है। जाति, धर्म, पंथ की सीमाओं से उठकर ज्यादातर लोग सोशल डिस्टेंसिंग और जरूरी नियमों का पालन कर रहे हैं। लेकिन ममता बनर्जी अब भी पुराना राग अलाप रही हैं। ममता ने कहा है कि वह केंद्रीय टीम की इजाजत नहीं दे पाएंगी, क्योंकि यह संविधान के संघीय ढांचे के खिलाफ है। यह कुछ उसी तरह है जैसे ममता अकसर राज्यपाल पर सवाल उठा देती हैं तो कभी केंद्र सरकार को सियासी मुद्दों पर घेर लेती हैं। जबकि यह लड़ाई सियासी न होकर एक घातक वायरस से है। ऐसा वायरस जिसकी अभी तक न तो दवा है न कोई वैक्सीन।
महाराष्ट्र-राजस्थान के लिए भी आदेश, फिर क्यों विरोध
बंगाल के अलावा महाराष्ट्र के मुंबई-पुणे, मध्य प्रदेश के इंदौर और राजस्थान के जयपुर के लिए भी केंद्र सरकार ने समान आदेश जारी किया है। गौर करने वाली बात यह है कि ममता बनर्जी के अलावा बाकी किसी राज्य के मुख्यमंत्री ने इस कदम का विरोध नहीं किया है। महाराष्ट्र में शिवसेना गठबंधन और राजस्थान में कांग्रेस की सरकारें हैं लेकिन वहां के मुख्यमंत्रियों ने केंद्रीय टीम भेजने के कदम को संविधान के खिलाफ नहीं बताया है। यही नहीं बीजेपी शासित मध्य प्रदेश में भी यह टीम जा रही है। फिर कैसे माना जाए कि ममता बनर्जी लॉकडाउन पर राजनीति नहीं कर रही हैं।
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