
कांग्रेस के कार्यकाल में नोटबंदी पर बीजेपी ने क्यों कहा होगा गरीब विरोधी ?
जनवरी 2014 में जब यूपीए सरकार ने 2005 से पहले जारी हुए 31 मार्च तक के लिए बदलने का निर्णय लिया था तब बीजेपी प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी ने तत्कालीन वित्त मंत्री के इस कदम की आलोचना की थी. लेखी ने कहा था, “500 के नोट को विमुद्रीकरण करने की वित्त मंत्री की नई चाल विदेशों में जमा काले धन को संरक्षण प्रदान करने की है…यह कदम पूरी तरह से गरीब-विरोधी है। ”
उन्होंने पी. चिदंबरम पर ‘आम औरत’ और ‘आदमी’ को परेशान करने की योजना बनाने का आरोप लगाया था, खास करके उन लोगों को जो अशिक्षित हैं और जिनके पास बैंक खाता नहीं है। उन्होंने कहा था कि देश की 65 फीसदी जनता के पास बैंक खाते नहीं है। ऐसे लोग नकद पैसे रखते हैं और पुराने नोट को बदलने से उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।
मीनाक्षी लेखी ने कहा था, “ऐसे लोग जिनके पास छोटी बचत है, बैंक खाता नहीं है, उनकी जिंदगी प्रभावित होगी. वर्तमान योजना से कालेधन पर लगाम नहीं लगेगी।”

अब बात करते है की कांग्रेस के कार्यकाल में नोटबंदी बीजेपी ने क्यों विरोध किया होगा ये बस मेरा अनुमान है ।
- उस समय गरीबों के पास बैंक में खाते बहुत कम थे मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद 23.37 करोड़ खाते प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत खुले । अधिक जानकारी
- कांग्रेस नोट शोर मचा के बदलना चाहती थी ताकि सभी कालेधन वाले अपने पैंसो को ठिकाने लगा सके अगर ऐसा नहीं था तो बीजेपी को कैसे पता चला की नोट बदलने वाले है ।
- भारत में नोट कई बार बदले गए है लेकिन कभी अचानक से नहीं , पहले सुचना दे दी जाती थी और वक़्त भी ज्यादा होता था इतने समय में सारे पैसा बाजार में आ जाता था और कालेधन वाले आराम से पैसो को बदल लेते थे ।
“अब जो हुआ अच्छा हुआ कम से कम देश की जनता को एक झटके में पता चल गया कितनो के पास कालाधन था ।”
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