
आम आदमी पानी-पानी
गर्मिया आते ही आम आदमी के मन में एक बात ध्यान आती है, वो है पानी की किल्लत! उसे अपनी पिछली गर्मी याद आती है। जब वो रात-रात भर पानी आने का इंतजार करता था। रात को पानी नहीं आया तो सुबह काम पे जाने से पहले दिनभर के पानी का इंतजाम करता था और आज फिर वो केन लेकर पागलो की तरह इधर उधर भागता है, की कुछ पानी तो मिल जाये नहाने के लिए नहीं, पिने के लिए ही मिल जाये। ये हालात है भारत के आम आदमी के जो रात को उठ कर पानी चेक करने के लिए ऐसे भागता है। जैसे उसे कोई सदमा लग गया हो । लेकिन ये परिस्थति हर किसी पे लागू नहीं होती।

उदहारण के तौर पर दिल्ली के कई क्षेत्र ऐसे है, जहाँ पर पानी की दिक्कत होती है और वहां के लोगो की हालत भी कुछ ऐसी होती है, जैसा मैंने ऊपर की लाइन लिखा है। लेकिन कुछ क्षेत्र ऐसे भी है, जंहा 24 घंटे पानी आता है मानो वंहा पर आदमी नहीं अन्तरिक्ष जीव (Alien) रहते है। लोगो को पानी का बिल तो समय पर मिलता है, पर पानी नहीं। आखिर इसका जिम्मेदार कौन है।सरकार, संस्था जो पानी का वितरण करती है या हम सब खुद?
मै शुरुआत हम सब से करता हूँ क्योकि सबसे ज्यादा शिकायत हम ही करते है। हकीकत यह है की हमारी फितरत रही है, की हम कोई गलती अपने ऊपर लेना ही नहीं चाहते सब कुछ हम दूसरो पर डाल देते है। चाहे हमें पता हो की हमारी गलती क्या है| मैंने लोगो को देखा है, की जब पानी होता है तो उसका दुरूपयोग कैसे करते है और आपने भी देखा होगा।
- बाहर आपने ने अपने पड़ोस के दुकानदार को देखा होगा रोड पे झाड़ू लगवाने के बाद पानी डलवाते हुए। अगर इनसे पूछो भाई आपने ने पानी क्यों डलवाया तो सामने से जवाब आता है धूल शांत करने के लिए पानी डालने से धूल बैठ जाती है। जबकि इसका कोई फायदा नहीं है क्योकि धूल थोड़ी देर के लिए बैठ तो गयी लेकिन सूखने के बाद फिर उड़ेगी या जब हवा चलेगी तो धूल उड़ कर आएगी तो पानी बर्बाद करने से क्या फायदा।
- जब पानी आता है, तो हम दो दो बाल्टी पानी से नहाते है और जब पानी नहीं आता तो आधी बाल्टी से काम चलाते है। ऐसे बहुत से उदहारण हमारे बीच मिल जायेंगे।
अब मैं आता हूँ जल बोर्ड पर ये ऐसी संस्था जो राम भरोसे चल रही है। जहा पर प्रबंधन नाम की कोई चीज नहीं होती है। पानी की आपूर्ति से लेकर बिल के वितरण तक सैकड़ो खामिया पायी जाती है। अब आते है पानी के वितरण प्रणाली पर क्या प्रणाली है जल बोर्ड की जितनी तारीफ की जाये कम है।
- पानी में दिनों के हिसाब से प्रकार मिलते है। कभी साफ पानी , कभी काला पानी, कभी सफ़ेद पानी क्लोरिन मिला मानो 1000 ली. में 10 ली. दूध मिला कर पानी दे रहे हों। जंग लगा पानी जिससे पिने वालो के शरीर में लोहे की कमी न हो, महकता पानी ये सब तरह तरह के पानी के प्रकार है।
- किसी जगह पानी 24घंटे आता है तो किसी जगह 24 घंटे में 1 घंटे वो भी गलती से आ जाता है। ये क्षेत्र के हिसाब से होता है।
- अब आते है क्षेत्र पे, किसी गली में पानी आता है तो किसी में सुखा छाया रहता है। किसी गली में 12 घंटे पानी तो किसी में 12 मिनट ये सब पानी के वितरण के प्रकार है।
अब बताता हूँ की पानी और बिजली में क्या नाता है । जैसा सबको पता है की पानी भरने के लिए पम्प का इस्तेमाल होता है। पानी का कोई समय नहीं की वो किस समय आएगा। लोग दिन में बार बार मोटर चला के देखते है । मैंने अपने आस पास लोगो से पूछा की वो दिन में कितनी बार मोटर चलाते है और कितनी देर तो पता चला की दिन मे 10-12 बार और 4-5 मिनट । मैंने यह माना की ऐसा दिल्ली के 50 हजार घरो में होता है। जब मैंने हिसाब लगाया तो पाया 18333.35 किलो वाट बिजली सिर्फ पानी चेक करने में बर्बाद हो जाती है। इस बर्बादी का जिम्मेदार कौन है। अब आते है हमारी सरकारी नीतियों पर वैसे सरकार कहती है । पानी बचाव, बिजली बचाओ दूसरी तरफ इनकी ख़राब नीतियों के कारण ज्यादा बर्बादी होती है । सरकार को कुछ कदम इस प्रकार के उठाने चाहिए।
- हमारे यहाँ सरकारी काम में पारदर्शिता अभी भी नहीं आई है। सुचना के अधिकार के आने से फायदा हुआ है, लेकिन जब व्यक्ति धक्के खाए तो सुचना पाए। क्या सुचना पहले से ही उपलब्ध नहीं हो सकती।
- काम चोरों के लिए क्या नियम है? सरकार को चाहिए की हर कर्मचारी के दैनिक काम का विवरण उपलब्ध हो, जैसा निजी कंपनियों में होता है।
- जल बोर्ड को ये आदेश दे की हर क्षेत्र में पानी का वितरण समय – सारणी के अनुसार हो, जिससे लोगो को असुविधा न हो तथा बिजली भी बर्बाद न हो।
- पानी के इस्तेमाल तथा दुसरे स्रोतों पर शोध करवाना चाहिए।
जब सब मिल कर कुछ न कुछ करेंगे, तब पानी दिक्कत ख़त्म होगी। जब तक पानी की दिक्कत खत्म नहीं होती तब तक गुनगुनाओ ।
“सारी सारी रैना जागे मेरे नैना । जब मिल जाये पानी तो आ जाये चयना ।।”
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